मंदसौर गोलीकांड पर सरकार को नोटिस जारी, पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

Notice issued to the government on Mandsaur firing incident, Supreme Court's order on Paras Saklecha's petition

मंदसौर गोलीकांड पर सरकार को नोटिस जारी, पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
मंदसौर गोलीकांड पर सरकार को नोटिस जारी, पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

मंदसौर गोलीकांड पर सरकार को नोटिस जारी, पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

डेली जर्नल हिंदी डेस्क 

मंदसौर गोली कांड की जांच के लिए बने जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने की  पूर्व विधायक पारस सकलेचा की‌ पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संदीप दास एवं  जस्टिस विक्रम मेहता ने वरिष्ठ अभिभाषक विवेक तंखा तथा डा. सर्वम रितम खरे की बहस के बाद  राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया।

6 जून को 2017 को पिपलिया मंडी, मंदसौर में पार्श्वनाथ चौपाटी पर आंदोलनरत किसानो पर पुलिस द्वारा गोली चलाने से  5 किसानों की मृत्यु हो गई थी। गोलीकांड की घटना की सीबीआई जांच तथा जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रकरण दर्ज करने की मांग को लेकर पारस सकलेचा ने  पिटीशन क्रमांक 5861/2017 दिनांक 15 सितंबर 2017 को उच्च न्यायालय इंदौर में दाखिल की। न्यायाधीश पीके जायसवाल तथा न्यायाधीश विरेन्द्र सिंह ने शासन द्वारा जैन आयोग का गठन किए जाने पर पिटीशन को खारिज कर दिया।

गोलीकांड की जांच के लिए 12 जून 2017 को शासन ने जैन आयोग का गठन किया । जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को राज्य शासन को पेश कर दी। जैन आयोग की रिपोर्ट को 4 साल बाद भी विधानसभा के पटल पर नहीं रखे जाने पर पारस सकलेचा ने माननीय उच्च न्यायालय इंदौर में पिटीशन क्रमांक 10626/2022 दिनांक 3/5/2022 को  पेश कर माननीय उच्च न्यायालय से प्रार्थना की कि शासन को आदेश करें कि वह जैन आयोग की रिपोर्ट पर कार्यवाही कर उसे विधानसभा के पटल पर रखें । पारस सकलेचा ने न्यायालय से कहा कि जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3(4) के तहत जांच आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होने के 6 माह के अंदर उस पर कार्रवाई कर विधानसभा के पटल पर रखना शासन का दायित्व है।

उच्च न्यायालय इंदौर  में  माननीय न्यायाधीश विवेक रूसिया तथा  माननीय न्यायाधीश बिनोद कुमार द्विवेदी‌ ने 14 अक्टूबर 2024 को पारस सकलेचा की पिटीशन को खारिज करते‌ हुए कहा कि घटना को 6-7 वर्ष हो जाने पर उसकी रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने का कोई आधार नजर नहीं आ रहा है। उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पारस सकलेचा ने 8 जनवरी 2025 को माननीय उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की । वरिष्ठ अभिभाषक विवेक तंखा तथा सर्वम रीतम खरे के तर्क सुनने के बाद माननीय उच्चतम न्यायालय ने  राज्य शासन को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।