इबादत करने, रहमत और मगफिरत मांगने के वाली रात शब ए बारात आज, अल्लाह से रो रो कर आज मांगी जाएगी खुद के लिए अपने मरहूम परिवार जनों के लिए मगफिरत की दुआएं
Shab-e-Baraat the night of prayer mercy and forgiveness today we will cry to Allah and pray for forgiveness for ourselves and our deceased family members

इबादत करने, रहमत और मगफिरत मांगने के वाली रात शब ए बारात आज, अल्लाह से रो रो कर आज मांगी जाएगी खुद के लिए अपने मरहूम परिवार जनों के लिए मगफिरत की दुआएं
डेली जर्नल हिंदी डेस्क
– मोहम्मद सिराज
रतलाम, शब ए बारात इस्लाम में रातों में से एक अहम रात हैं। शब ए बारात के दिन लोग रात में जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं। इस बार शब ए बारात 13 फरवरी को याने कि आज मनाई जा रही है। यह रात इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक माह शाबान जो आठवां महीना है, इसी की 14 तारीख की रात को शब ए बारात के रूप में मनाई जाती है। इसका मतलब होता है जहन्नुम से आजाद करना। इस रात के लिए समाजजनों में उत्साह देखने को मिलता है। घरों में पकवान बनते हैं और पूरी रात अल्लाह की इबादत की जाती है।
जावरा सीरत कमेटी जुड़े आसिफ अनवर घड़ी वाले चाचा ने बताया कि शब ए बारात पर लोग रात में मस्जिदों में जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं। साथ ही अपने पूर्वजों की मगफिरत याने कि माफी की दुआ करते हैं। शब ए बारात 13 तारीख को सूरज के ढलने से शुरु होगी और 14 फरवरी की सुबह फ़ज़र की नमाज तक चलेगी। शब ए बारात को जावरा, रतलाम सहित पूरे मध्य प्रदेश में रात भर इबादत कर मनाई जाएगी। इसी दिन मगरिब के वक्त पर लोग कब्रिस्तानों में जाकर फातिहा पढ़ेंगे और अपने पूर्वजों की मगफिरत की दुआ की जाएगी। जरूरतमंद लोगों को दान भी किया जाएगा।
शब ए बारात के दिन और उससे पहले के दिन के रोजे की फजिलियत
मुस्लिमों को बेसब्री से इंतजार रहता है वह रात आज मनाई जाएगी। मुस्लिम पुरुष मस्जिदों और महिलाएं अपने घरों में शब ए बारात पर निडिल नमाज़े और दुआएं मांग कर इबादत करेंगे। इसके साथ ही कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों एवं परिजनों की कब्रों पर गुलाब पेश कर दरूद फातिहा पढ़ेंगे। वहीं घरों में महिलाऐं और बच्चे भी नमाजें और कुरआन पढ़ेंगी। यह सिलसिला शुक्रवार अलसुबह तक जारी रहेगा। शब ए बारात पर और एक दिन पहले रोजा भी रखा जाता है। हालांकि यह रोजा नफली रोजा कहलाता फ़र्ज़ नहीं। इसे रखने से सवाब मिलता है। लेकिन न रखने पर कोई गुनाह भी नहीं होता।
इसलिए मनाई जाती है शब ए बारात
माफी मांगने के लिए बंदों के लिए एक ऐसी रात बनाई गई जिसका वे लाभ ले सकते है। इस रात में तीन लोगों की माफी मंजूर नहीं होगी, जब तक वे अपने गुनाहों से दिल से और सच्ची तौबा न मांगे। इसलिए इस रात में मुस्लिम धर्मवालंबी रात में जागकर अल्लाह याने ईश्वर की इबादत/प्राथना करतें है और निजात याने नर्क से आजादी के लिए दुआ मांगते हैं।
शहर काज़ी और मौलवी सय्यद अहमद अली बताते हैं कि शब ए बारात का मतलब है आजाद करना, अल्लाह रब्बुल अलामीन याने ईश्वर इस रात में बनू कल्ब याने एक कबीला जहां की बकरियों के बाल के बराबर लोगों को जहन्नम याने नर्क से आजाद फरमाते हैं।
इस रात टूटता है जिंदगी का पत्ता
इस रात की फजीलत बताते हुए मौलवी शहर काज़ी सय्यद अहमद अली कहते हैं कि पैगंबर मोहम्मद साहब ने फरमाया है कि शाबान उनका महीना है और रमजान अल्लाह रब्बुल इज्जत याने ईश्वर का महीना है। अल्लाह के नबी पैगंबर मोहम्मद साहब शाबान के महीने के अंदर सबसे ज्यादा रोजे याने उपवास का एहतमाम फरमाया है जिसकी वजह यह है कि जब शाबान की 15वीं रात होती है तो अल्लाह दुनिया के अंदर जितने भी इंसान पैदा होंगे, जिन्हें मौत आएगी, शादी ब्याह करेंगे, तिजारत याने व्यापार करेंगे याने की जो भी दुनिया से मुतल्लि करेंगे और कौन दुनिया के अंदर आएगा और जाएगा, ये पूरी फहरिस्त बनकर तैयार होती है। इसे फरिश्तों के हवाले कर दिया जाता है। तो अल्लाह के नबी इसलिए इस माह में रोज रखते थे कि जब फहरिस्त याने लिस्ट तैयार हों और उनका नाम ईश्वर के दरबार में पहुंचे तो वे रोजे की हालत में हो।
शब ए बारात पर मगफिरत की दुआ
इस रात के अंदर इंसान अपने गुनाहों से ज्यादा से ज्यादा तौबा करे और मगफिरत के लिए दुआ करे, क्योंकि इस रात में आजादी के फैसले कर दिए जाते हैं और उनकी भी लिस्ट बनकर तैयार हो जाती है जो आने वाले दिनों में हमारे बीच मौजूद नहीं रहेंगे और जो मौजूद होंगे उन्हें कितनी रोजी दी जाएगी इसके फैसले भी कर दिए जाते है, जो किसी भी आम इंसानों को पता नही होता।
इन लोगों को नहीं मिलती माफी
तीन लोग ऐसे है, जिनकी माफी इस रात में भी नहीं होती, उनमें सबसे पहले आते है मां बाप की नाफरमानी करने वाला, दूसरा रिश्तेदारी तोड़ने वाला, तीसरा और आखिरी व्यक्ति होता है नशा करने वाला जो की नशे का आदि हो, वह इस रात में निजात से वंचित रहता है। जब तक कि वह सच्चे दिल से इन बातों को त्यागने के लिए तौबा न मांग ले।
फिजूल खर्च से बचना चाहिए
शब ए बारात की नमाज रोजाना होने वाली नमाजों से हटकर होती है। इस रात में अपने घरवालों के साथ साथ पूरे देश की हिफाजत उन्नति शान्ति अमन व अमान के लिए दुआ भी की जाती है। शब ए बारात पर लोग अपने घरों को सजाते हैं। घरों में खुशबू लगाई जाती है। कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और लोगों को खिलते है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान भी किया जाता है। इस दिन आतिशबाजी और फिजूल खर्चों करने से बचना चाहिए।